
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे ही ईरान-इसराइल संघर्ष पर सीज़फायर की घोषणा की, दुनिया ने राहत की सांस ली। लेकिन कांग्रेस नेता जयराम रमेश को यह चैन कहां?
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जयराम रमेश का तीखा ट्वीट: “ग़ज़ा में कोई शांति नहीं, सिर्फ़ मौतें हैं!”
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जयराम रमेश ने लिखा:
“राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका-इसराइल द्वारा ईरान के खिलाफ छेड़े गए युद्ध में सीज़फ़ायर की घोषणा की है। लेकिन ग़ज़ा में इसराइल द्वारा किया जा रहा नरसंहार अब भी जारी है।”
ट्वीट में उन्होंने भारत सरकार की “रणनीतिक मौन साधना” पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि:
“18 महीनों से फलस्तीनियों पर टूटी आपदा पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी भारत की नैतिक और राजनीतिक साख को ठेस पहुंचा रही है।”
“शांति” पर चुप्पी: नई कूटनीति या पुरानी बेबसी?
इस बयान के ज़रिए जयराम रमेश ने भारत की विदेश नीति पर एक बड़ा सवाल उठा दिया। एक ओर मोदी सरकार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर “वसुधैव कुटुंबकम्” की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ग़ज़ा में जारी हिंसा पर नज़रअंदाज़ी को लेकर विपक्ष आक्रामक होता जा रहा है।
ट्रंप ने युद्ध रोका, मोदी जी अभी भी मैप पढ़ रहे हैं?
सियासी व्यंग्य की बात करें, तो विपक्ष का कहना है कि अमेरिका में बम गिरने से पहले ट्रंप ने रोक लगा दी, लेकिन भारत में नैतिक आवाज़ उठने से पहले डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्टिव हो जाता है — “कुछ मत बोलो, चुप रहो, और देखो!”
ट्वीट तीखा है, सवाल गहरा है
राजनीति में चुप्पी कभी-कभी शब्दों से ज़्यादा शोर मचा देती है।
जयराम रमेश के ट्वीट ने यही साबित किया है। अब देखना है कि सरकार इस पर कूटनीतिक चुप्पी बरकरार रखती है या कोई आधिकारिक “मौन-वाणी” जारी होती है।